Friday 4 May 2012

व्यंग : आपकी चोरी की प्रतीक्षा में




आदरणीय रचनाएँ चोरी करने बाले बंधुबर,
कोटि कोटि नमन,



        हे वीर पुरुष, हे श्रेष्ठ मानव, नमन, ये पत्र आपको धन्यवाद कहने के लिये लिख रहा हूँ| सुना है (और देखा भी है) आप रचनाएँ चोरी कर अपने चिठ्ठे (ब्लॉग) पर और दीवार पर लगाते है| बहुत अच्छा करते है| जिन रचनाओं की और किसी का ध्यान नहीं जाता आप उसे जन जन तक पहुचाते है| प्रभु कभी मुझ जैसे तुच्च पर भी अपनी कृपा कीजिये| कभी कभी तो आप अपना नाम भी किसी चोरी की रचना के नीचे लिख देते है या विशेष मानसिक स्थिति में आप बिना नाम के ही रचना चिपका देते है| बेचारे लेखक क्या जाने कि आप कितने बड़े कार्य को अंजाम दे रहे है| ये जानते हुये की रचनाओं को चोरी करने पर रचनाएँ आपकी नहीं हों जायेगी, आपका साहस देखते बनता है| हे कृपालु कभी हमारी रचनाओं की तरफ भी एक नज़र डालिए| मैं जानता हूँ की आप ये भी जानते है की इससे आप किसी विधा के विद्वान नहीं बन पायेगे , आप तन्मयता से आपने कार्य में लगे है| वैसे तो आप सर्वज्ञानी है पर हे दीनानाथ कुछ लेखक आपके इस कार्य से आपसे रुष्ट हो जाते है, वे अज्ञानी है उन्हें माफ कर दीजिये| आप जैसे भोले लोगों की ये दुनियां है ही नहीं, आप तो बस चोरी को एक कला के रूप में मानते है और उसी की साधना में व्यस्त रहते है| जहाँ लेखक अपनी श्रेष्ठ रचनायों के चयन में चूक जाता है, आप उस रचना को प्रेषित करते है, लेखक को दंड मिलना ही चाहिये, वह चूका कैसे? हे न्याय के देवता कुछ लोग आपको धूर्त, बेईमान, चोर और न जाने क्या क्या कहते है, मुझे तो दुःख होता है, वे नादान है नही जानते की आप तो बस 'मेड इन इंडिया' की परम्परा को आगे बड़ा रहे है| प्रभु आपने कितने ही रचनाकारों, लेखकों और कवियों को बड़ा बना दिया है, असल में आप जिन लेखकों की रचनाएँ चुराते है, वे अच्छे ही होते है, उन्हें आपके इस कार्य से नाम तो मिल ही जाता है, आप छोटे, बड़े का फर्क बताते है| मेरी आप से सविनय विनती है की मुझे अपने चिठ्ठे (ब्लॉग) पर और दीवार आश्रय दीजिये| भूल चूक माफ कीजिएगा|


आपकी चोरी की प्रतीक्षा में 
~अमितेष जैन

4 comments:

  1. Replies
    1. मजा आया ना दादा ??

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  2. जबरदस्त
    पूरे लेख में हँसाने के लिए शुक्रिया..

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